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Monday, May 25, 2020

वो जालों की तरह दीवार को बन्दी बनाये हैं।
मकड़ियों की कुटिल सेना सदा मन में बसाये हैं।
सभी को बाँटते आदर्श का टाॅनिक ज़माने में;
कदाचित् आज तक घर पर नहीं दर्पण लगाये हैं।

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