वो जालों की तरह दीवार को बन्दी बनाये हैं।
मकड़ियों की कुटिल सेना सदा मन में बसाये हैं।
सभी को बाँटते आदर्श का टाॅनिक ज़माने में;
कदाचित् आज तक घर पर नहीं दर्पण लगाये हैं।
मकड़ियों की कुटिल सेना सदा मन में बसाये हैं।
सभी को बाँटते आदर्श का टाॅनिक ज़माने में;
कदाचित् आज तक घर पर नहीं दर्पण लगाये हैं।
No comments:
Post a Comment