मेरे मुक्तक
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Thursday, May 21, 2020
कभी ये सोचना भी मत कि कुछ ऐसा करोगे तुम
जो सम्मानित है नज़रों में उसे रुसवा करोगे तुम
बड़ा है पाप सबसे ये, न सच्चे प्रेम को ठगना
करो वादा कभी ये पाप न फिर से करोगे तुम।
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