Followers

Thursday, May 21, 2020

सुषुम्ना के अनाहत के अनाहद नाद जैसे हो,
हृदय में बज रहे निस दिन बिना आघात जैसे हो
तुम्ही में लीन हो कर जड़ से चेतन आज होना है
मुझे जो शिव पे है शाश्वत उसी विश्वास जैसे हो।

No comments:

Post a Comment