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Monday, May 25, 2020

वो जालों की तरह दीवार को बन्दी बनाये हैं।
मकड़ियों की कुटिल सेना सदा मन में बसाये हैं।
सभी को बाँटते आदर्श का टाॅनिक ज़माने में;
कदाचित् आज तक घर पर नहीं दर्पण लगाये हैं।

Thursday, May 21, 2020

प्रीत की एक छुअन है ज़रूरी बहुत
तेरा मेरा मिलन है ज़रूरी बहुत
स्वांस की डोर एक दिन चली जायेगी
उससे पहले भजन है ज़रूरी बहुत।
इनकी राहों पे ज़रा फूल बिछा देना तुम
थोड़ा खाना थोड़ा पानी ही पिला देना तुम
ये भी इंसान है , घर की तरफ ही भागे हैं
जब तलक घर न पहुँच जाएं जिला देना तुम।
चरनन की रज मिल जाये तो ,भटकन को उद्देश्य मिलेगा
जीवन पुष्प निरर्थक लगता,ईश मिले सोद्देश्य खिलेगा
चढ़ने को तैयार देव पे,स्वयं देव को पता नहीं है
शीश हाथ जो रख दें प्रभु तो,जीवन पुनः अवश्य मिलेगा। 
मानव योनि में जन्म लिया है हम मनु की संतानें है 
मानो या ना मानो रिश्ते अपने बहुत पुराने हैं
संबोधन स्वीकार सभी के जिसमें स्नेह समावेशित
जीवन मे आएं हैं जब तो रिश्ते सभी निभाने हैं।
प्रकृति ने रूप बदला है, नया एक गीत गाया है
हुआ अम्बर घना नीला , हरा रंग पात छाया है
हवाओं में घुली खुशबू हमें महसूस होती है
विषमता में ये भोलेनाथ की अद्भुद सी माया है।
जो मन मे बज रही मेरे ,वो अनुपम भैरवी हो तुम,
सभी कुछ है गलत मेरे लिए, अब बस सही हो तुम,
जिधर कह दो उधर से सूर्य होगा अब उदय मेरा,
जहाँ मैं लाभ में हर दम , वो जीवन की बही हो तुम।