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Sunday, October 6, 2019

तूफानों से टकराने की आज हृदय ने ठानी है
दुनिया कहती रुक जाओ तुम ये कैसी मनमानी है।
मैं कहती अनंत नापना है मुझको इस बार प्रिये
निश्चय गर हो दृढ़ तो इसमें भी फिर आसानी है।

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